चीन में 1 सितंबर से नया समुंद्री कानून लागू हो गया है।दरअसल, चीन ने अपने समुद्री सुरक्षा का हवाला देते हुए नया समुद्री कानून लागू किया है।इस कानून के अनुसार, चीन के समुद्री क्षेत्रों से दूसरे देशों के जहाजों निकलेगें तो उन्हेचीनी अधिकारियों के पास अपना कॉल साइन, पोजिशन, डेस्टिनेशन, जहाज में लोड सामान की जानकारी, स्पीड, लोडिंग कैपेसिटी की जानकारी देनी होगी।और ऐसा नहीं करने पर चीन अपने कानून के मुताबिक कारवाई भी कर सकता हैं।
हालांकि ये कानून किन जहाजों पर लागू होगा ये स्पष्ट नहीं हुआ हैं।बताया जा रहा है कि ये कानून पनडुब्बियों, न्यूक्लियर जहाजों, रेडियोएक्टिव मटेरियल से लोड जहाजों, ऑइल, गैस और केमिकल ले जा रहे जहाजों पर लागू होगा।

भारत पर इसका क्या असर पडेगा
चीन का इस नये समुद्री कानून का व्यापक प्रभाव भारत पर पड़ सकता है।क्योंकि भारत का लगभग 95 प्रतिशत व्यापार समुद्र के जरिए होता है।और कुल भारत के कुल समुद्री व्यापार का करीब 55 प्रतिशत चाइना सी के जरिए ही होता है।
समुद्री सीमा को लेकर अंतराष्ट्रीय कानून की बात करें तो आपको बता दें कि भारत, चीन औऱ करीब 100 से अधिक देशों ने समुद्री यातायात को लेकर एक यातायात शुरू किया।जिसे यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑन द लॉ ऑफ द सी (UNCLOS) कहा जाता है।इस एग्रामेंट के मुताबिक किसी भी देश की जमीन से 12 मील (22.2 किलोमीटर) तक उस देश की समुद्री सीमा मानी जाती है।

बताया जाता है कि इस कानून के अनुसार 12 नॉटिकल मील की दूरी के बाद का समुद्री क्षेत्र कोई भी देश ट्रेड के लिए इस्तेमाल कर सकता है। इस दूरी के बाद किसी भी देश की समुद्री सीमा लागू नहीं होती।बता दें कि चीन का ये नया समुंद्री कानून यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑन द लॉ ऑफ द सी एग्रीमेंट का भी उल्लंघन करता है।