पिछले दिनों विश्व स्वास्थय संगठन ने मलेरिया के खिलाफ वैक्सीन को मजूरी दे दी हैं।बता दें कि मलेरिया के खिलाफ मजबूत हथियार के रूप में यह वैक्सीन दूनिया की पहली मलेरिया वैक्सीन है जिसे क्लिनिकल डेवलपमेंट प्रक्रिया को पूरा कर लिया हैं।इस वैक्सीन से अफ्रीका में बच्चों पर हुए ट्रायल्स में जानलेवा गंभीर मलेरिया को कमजोर करने में बड़ी सफलता हासिल की है।

यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी के अनुसार यह वैक्सीन 6 से 17 महीने के बच्चों को 4 डोज में दी जाती हैं।बताया जा रहा है कि यह वैक्सीन हेपेटाइटिस B वायरस के साथ इन्फेक्शन को लिवर तक पहुंचने से भी रोकती है।
वैक्सीन कितना कारगर है इसकी बात करें तो वैज्ञानिकों के मुताबिक मॉस्किरिक्स का एक्टिव सबस्टेंस प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम पैरासाइट की सतह पर पाए जाने वाले प्रोटीन से बना है। जब किसी बच्चे को यह इंजेक्शन लगते हैं तो उसका इम्यून सिस्टम पैरासाइट से ‘फॉरेन’ प्रोटीन की पहचान कर उसके खिलाफ एंटीबॉडी बना लेता है।
बता दें कि पूरी दूनिया में ऐसे देशों का आकड़ा तेजी से बढ़ रहा है जहां मलेरिया खत्म हो चुका है या खत्म होने के करीब हैं।गौरतलब है कि जिस देश में लगातार तीन साल तक जीरो मलेरिया केस रहते है उन्हे विश्व स्वास्थय संगठन से मलेरिया एलिमिनेशन का सर्टिफिकेट मिलता हैं।बता दें कि अभी तक 11 देशों को विश्व स्वास्थय ने सर्टिफिकेट दे चुके है।